महामानव डॉ. आंबेडकर को बाबासाहेब बनाया उनके शील ने, उनकी प्रज्ञा ने और उनकी अथाह करुणा ने।
अपनी किताब ‘बुद्ध अथवा कार्ल मार्क्स’ में वे बताते हैं कि सच्चाई और कल्याण का रास्ता लंबा ज़रूर है लेकिन अंत में आप अपने पांव एक मजबूत आधार पर महसूस करेंगे, जो कभी धंसेगा नहीं।
बाबासाहेब मूर्तियों में नहीं उनकी किताबों में हैं, पढ़ोगे तो ही मजबूती से आगे बढ़ोगे।